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निधि एंड द सीक्रेट आइडेंटिटी भाग 3

8

   विनम्र का किडनैप हुए साइंटिस्ट को लेकर आना और उसे सीरिया घुमाना
    
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    सीरिया का एयरपोर्ट
    
    तेज धूल भरी आंधियां चल रही थी। दूर दूर तक देखने पर सिवाय रेत के और कुछ नहीं दिख रहा था। यह शहर के बाहर बनी हुई एक जगह थी जहां एक सीधी सड़क जहाजों के उतरने के लिए बनाई गई थी। विनम्र वहां खड़ा अमेरिका से आने वाले जहाज का इंतजार कर रहा था। उसने एक चेक वाली शर्ट और जींस पैंट पहन रखी थी। आंखों पर काले रंग की चश्मा था जो उसे धूप और तेज धूल भरी आंधी, दोनों से बचा रहा था। विनम्र की जीप इस वक्त जहाज उतरने वाली पट्टी के बीचों-बीच खड़ी थी।
    
    जल्द ही आसमान में जहाज के आने की आवाज गूंजने लगी, विनम्र ने गर्दन उठाकर आसमान की तरफ देखा। वहां उसे जहाज नीचे उतरते हुए दिखाई दे रहा था। वह जीप में बैठा और उसे साइड में कर लिया। जल्द ही जहाज रनवे पर उतरा और गति को कम करते करते बिल्कुल विनम्र के पास आ गया।
    
    जहाज में गिनती के 7 से 8 लोग थे। जिनमें एक साइंटिस्ट,  औरत और उन्हें पकड़ने वाले लोग शामिल थे। जहाज के रुकने के तुरंत बाद एक के बाद एक सभी आदमी नीचे उतरने लगें।
    
    सबसे पहले साइंटिस्ट नीचे उतरा जिसने अपने साथ उस लड़की को भी पकड़ रखा था जो उसे संयुक्त राष्ट्र संघ की होने वाली सभा में मिली थी। इस ठरकी साइंटिस्ट ने अभी तक उसका हाथ नहीं छोड़ा। उसके बाद बाकी के आदमी एक-एक कर उतरे।
    
    विनम्र ने आगे बढ़कर साइंटिस्ट से हाथ मिलाया और उसे गाड़ी में बैठने के लिए कहा। साइंटिस्ट के साथ-साथ औरत भी गाड़ी में बैठ गई, लेकिन वह आदमी जो उसके साथ आए थे, वह वही खड़े थे। उन्हें लेने के लिए कोई गाड़ी भी नहीं आई थी। यहां सिर्फ एक गाड़ी ही खड़ी थी जो विनम्र लेकर आया था। उन आदमियों का लीडर आगे आया और विनम्र से बोला
    
    "क्या बात है... हमें लेने के लिए कोई गाड़ी नहीं आई"
    
    विनम्र मुस्कुराया और गाड़ी का दरवाजा बंद कर उनकी तरफ मुड़ा "मरने वालों को ले जाने का काम यमराज करता है…. विनम्र नहीं"
    
    "क्या!!" उसके साथ-साथ वहां खड़े बाकी सभी आदमी भी हैरान हो गए "यह तुम क्या कह रहे हो…."
    
    विनम्र ने अपनी पिस्तौल निकाली और उसके सर रखते हुए कहा "कुछ भी नहीं" और फिर चला दी।
    
    सिर्फ एक झटके में ही बंदूक की गोली उसके सर के आर पार हो गई। वहां खड़े बाकी आदमी यह देखकर डर गए और भागने लगे।
    
    वह छह आदमी थे जो अपनी जान बचाकर भाग रहे थे।
    
    विनम्र ने दूर से उन पर निशाना बनाया और एक-एक कर उनकी पीठ पर गोली मारने लगा। गोली लगते ही आदमी मर रहे थे। सभी आदमियों को मारने के बाद उसने अपनी बंदूक वहीं फेंक दी और जेब से एक रिमोट निकाला।
    
    फिर गाड़ी में बैठा और गाड़ी चला कर थोड़ा सा दूर चला गया। पीछे साइंटिस्ट और उसके साथ की औरत दूसरे ही कामों में व्यस्त थे।
    
    विनम्र ने मुड़ कर पीछे देखा और फिर वापस आगे देखने लग गया। रनवे से दूर जाने के बाद विनम्र ने रिमोट का बटन दबा दिया। जिसके बाद एक बड़ा धमाका हुआ और पीछे खड़ा जहाज और पूरा का पूरा रनवे  उड़ गया।
    
    "विनम्र कभी कोई सबूत नहीं छोड़ता, सबूत तो दूर की बात उसे कभी वह जगह भी नहीं मिलती जहां वो लोग सबूत ढूंढ़ते हैं" विनम्र ने मुस्कुराकर कहा और गाड़ी के गियर बदलकर उसकी स्पीड खींच ली
    
    अगले 2 घंटे के सफर के बाद विनम्र उन्हें शहर की छोटी-मोटी चीजों की जानकारी दे रहा था। सबसे पहले वह दरगाह के पास गए।
    
    विनम्र ने बताया की यह दरगाह 1100 साल पुरानी है, इसे किसी जमाने में खास चूने पत्थर की मिट्टी से बनाया गया था। कारीगरी इतनी उम्दा थी कि आज भी इसे नुकसान नहीं हुआ।
    
    दरगाह दिखाने के बाद वह उन्हें मार्केट की तरफ ले गया। मार्केट वाली गली से निकलने के बाद उसने वहां की नदी दिखाई। सीरिया में जलवायु भिन्न होने के बावजूद भी यहां का सौंदर्य देखते ही बनता था।
    
    मार्केट दिखाने के बाद वह उन्हें वहां की शॉपिंग मॉल में ले गया। शॉपिंग मॉल में दोनों ने जमकर शॉपिंग की। अब करनी भी थी, उनके कौन से पैसे लग रहे थे। उनका पूरा बिल विनम्र ने दिया।
    
    शॉपिंग करने के बाद अब खाने की बारी थी। विनम्र उन्हें लेकर वहां की सबसे बेस्ट रेस्टोरेंट में गया। रेस्टोरेंट में तकरीबन 2 घंटे का वक्त बिताने के बाद वह  बाहर आकर फिल्म देखने चले गए।
    
    विनम्र को ऑर्डर था कि वह इनकी देखभाल और सेवा करें। साइंटिस्ट तो पागल था ही था अब उसके साथ एक और पागल औरत मिल चुकी थी। दोनों ऐसी पागलों वाली हरकतें कर रहे थे कि किसी को भी उनसे चिढ़ हो जाए। लेकिन विनम्र उन दोनों को ही झेल रहा था। उन दोनों को थिएटर में छोड़ कर विनम्र बाहर आ गया और अपने बॉस को फोन मिलाया।
    
    "हेलो सर, यह मुझे कहां फंसा दिया आपने। इनके साथ रह रहकर मैं भी पागल हो जाऊंगा"
    
    सामने से जवाब आया "तुम फिकर मत करो, कल सुबह तक इन लोगों के रहने का इंतजाम हो जाएगा। हम लोग एक एडवांस लैब को चालू कर रहे हैं जिसका काम आज रात को ही खत्म होगा। बस जैसे-तैसे करके इन्हें झेल लो"
    
    "आपको लगता है यह दोनों पागल आपके काम आएंगे"
    
    "हमें उनके पागल होनी से कोई मतलब नहीं, हमें बस उनके एक्सपेरिमेंट चाहिए"
    
    "ठीक है, लेकिन जो भी हो जल्दी करें। कहीं ऐसा ना हो कल सुबह का सूरज निकलने से पहले ही में दोनों का कत्ल कर दूँ"
    
    "हा हा हा" सामने वाले आदमी ने हंसकर उसकी बात पूरी तरह से टाल दी।
    
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9


    
    निधि का पहले एजेंट की छानबीन करना
    
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    चिड़ियों की चहचहाहट के साथ अगले दिन की शुरुआत हुई। दिन खुशनुमा था। आसमान में हल्के बादल थे। रेगिस्तानी इलाके में इस तरह के बादल एक सुखद एहसास देने के लिए जाने जाते हैं। वैसे भी रेतीली जमीन पर बादल कम ही देखने को मिलते हैं। तकरीबन 6:30 बजे वकार अहमद बाजार से सब्जी लेकर आया और उसे अपनी पत्नी को बनाने के लिए दे दी। इसके बाद उसने निधि के कमरे की तरफ देखा जो अभी भी अंदर से बंद था। "लगता है वह अभी भी सो रही है" उसने मन ही मन सोचा और नहाने चला गया। वकार अहमद की पत्नी ने सब्जी काटी और झौंक लगा दी। एक तरफ उसने चाय भी रख दी। जैसे ही निधि बाहर आएगी वह उसे चाय दे देंगे। आधा घंटा और बीत गया। सुबह के 8:00 बज चुके थे। निधि के लिए जो चाय बनी थी वह उन लोगों ने खुद पी ली, पर निधि अभी तक बाहर नहीं आई। इसके बाद दोनों अपना-अपना काम करने लग गए। वकार अहमद की पत्नी घर की सफाई करने में व्यस्त हो गई तो खुद वकार अहमद अखबार पढ़ने में।
    
    इंतजार करते करते सुबह के 10:00 बज चुके थे। वकार अहमद और उसकी पत्नी को बड़ी बेसब्री से निधि के बाहर आने का इंतजार था। उन्हें लगा था कि निधि जल्दी उठ जाएगी। लेकिन नहीं!! निधि को देर तक सोने की आदत थी।
    
    10:00 बजे के बाद अचानक दरवाजे की कुंडी खुली और निधि अंगड़ाइयां लेते हुए बाहर आई। उसे इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि बाहर वकार अहमद और उसकी पत्नी इंतजार में उसका रास्ता देख रहे थे।
    
    सब एक-दूसरे के आमने-सामने थे, एक अजीब सी स्थिति बन गई। वह उन्हें देख रही थी और वो निधि को। निधि ने अचानक अपने हाथ नीचे किए और वकार अहमद की सामने वाली कुर्सी पर जाकर बैठ गई।
    
    "गुड मॉर्निंग" इन हालातों में निधि के मुंह से बस यही निकला।
    
    वकार अहमद ने तिरछी नजरों से पहले निधि को देखा और फिर अपनी पत्नी को और कहां " जाओ जाकर इसके लिए चाय और नाश्ता ले आओ, कुछ इस्लामी कपड़े भी ले आना। अगर यह इस तरह से बाहर गई तो हम लोगों पर आफत आ जाएगी"
    
    निधि ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। बस एक बार अपने कपड़ों को देखा, जो हद से भी ज्यादा छोटे थे। तकरीबन आधे घंटे बाद चाय पानी और नाश्ते का काम खत्म हो चुका था।
    
    निधि ने इस्लामी कपड़े पहने और खुद को बुरके में बंद कर लिया। वकार अहमद ने अपने पत्नी को आल्हा हाफिज बोला और कल की योजना का अनुसरण करने लगे।
    
    उन्हें सबसे पहले इस जगह पर मरने वाले एजेंट की छानबीन करनी थी। दोनों उस एजेंट के घर के तरफ वाले रास्ते पर चल दिए।
    
    रास्ते में वकार अहमद ने निधि को बताया की उस एजेंट को मरे हुए काफी दिन हो गए, लाश तो सरकार ने अपने कब्जे में ले ली पर उसका कमरा अभी भी वैसे का वैसा ही पड़ा था। यहां के लोगों के आलसी पन के कारण किसी ने उस कमरे की जांच नहीं की। हो सकता है वहां तुम्हें कुछ काम की चीज मिल जाए। निधि वकार अहमद की हर बात का जी में जवाब दे रही थी।
    
    तकरीबन 10 से 15 मिनट के सफर के बाद दोनों पास के ही मोहल्ले में बनी दूसरी गली में चलते हुए नजर आए। रास्ते में कुछ जान पहचान के लोग भी मिले जो सिर्फ वकार अहमद को जानते थे। वह उन सबको खुदा हाफिज, सलाम इत्यादि जैसे शब्द कहकर बुलाता गया। निधि को यह बात थोड़ी अजीब लगी। इस आदमी की अच्छी-खासी जान पहचान है पर इसके बावजूद कोई इस पर शक नहीं करता। वह उस एजेंट को भी जानता है तो ऐसे में उससे मिलने भी आता होगा। क्या किसी का इस बात पर शक नहीं गया की यहां एक एजेंट भी रहता है। छोड़ो, मैं भी फालतू में ऐसे ही सोच रही हूं। निधि ने कहा और अपने दिमाग को आराम दे दिया।
    
    कुछ देर और रास्ते में चलने के बाद निधि ने कुछ सवाल वकार अहमद से पूछने शुरू कर दिए। उसने वकार अहमद से पहले उनके खुद के काम के बारे में पूछा। जिसके जवाब में वकार अहमद ने बताया कि उसका काम फील्ड प्लानिंग का था। वह यहां आए हुए एजेंट की मदद करने का काम करता है। उनके खाने-पीने से लेकर सोने तक, प्रत्येक चीज की जिम्मेदारी उसकी होती है। उसको पैसे, जरूरी हथियार, दस्तावेज यह सब लाने का काम वही करता है।
    
    निधि ने दूसरा सवाल पूछा, जिस एजेंट की मौत हुई है क्या उसकी किसी से दुश्मनी थी। कोई ऐसा जो उस पर शक कर रहा हो??
    
    "नहीं" वकार अहमद ने चलते हुए जवाब दिया। "वह एजेंट इतना सक्रिय नहीं था। ज्यादातर काम कमरे में ही करता था। उसके तो खाने-पीने का सामान भी मैं ही लेकर आता था। स्वभाव मैं फ्रेंडली था, इसलिए उसने किसी से लड़ाई भी मोल नहीं ली"
    
    यह बात भी हैरानी वाली थी। किसी से दुश्मनी नहीं, पर इसके बावजूद किसी ने उसे मार दिया। निधि ने मन ही मन सोचा और उसके बाद आगे का सवाल पूछा "क्या दूसरी एजेंसियां उसके पीछे पड़ी थी??"
    
    "यहां दूसरी एजेंसी के लोग सक्रिय ही नहीं" वकार अहमद ने जवाब दिया” दूसरी एजेंसियों के सारे प्रोजेक्ट बंद हो चुके हैं। खुफिया सूत्रों से पता चला है की अमेरिका भी पहले इस केस में इंवॉल्व था पर उसने भी अब अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं"
    
    "सरकारी एजेंसी से कोई दुश्मनी??" निधि ने अंदेशा जताया।
    
    "इराक की सरकारी एजेंसी बहुत ढीली चल रही है, अगर उनमें इतना दम होता तो वह हमें क्यों हायर करते"
    
    "यह बात भी सही है" निधि ने कहा और फिर आगे बोली "इराक की सरकारी एजेंसी से कोई भी अगर दुश्मन नहीं तो सीरिया की एजेंसी के लोग?  वह तो पक्का दुश्मन होंगे। क्या पता उन्हें पता चल गया हो कि हम उनके देश के प्रधानमंत्री को मारना चाहते है, और उन्होंने हम पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया"
    
    "अगर ऐसा होता तो हमारे बाकी के एजेंट भी मारे जाते। सीरिया में अभी काफी सारे एजेंट सुरक्षित है। उन पर किसी तरह का कोई खतरा नहीं आया। "
    
    "मतलब आपका कहना है कि ना तो बाहरी एजेंसी का इसमें हाथ है और ना ही अंदरूनी एजेंसी का, कोई तीसरा ही है जो उसकी मौत का कारण बना" निधि ने सभी बातों का निष्कर्ष निकालते हुए कहा।
    
    "आमीन, यहां के हालात वैसे नहीं जैसे  आप सोच रही हैं। बिना जान पहचान के दूसरे देश के पक्षी भी यहां पर नहीं मार सकते, इन्सान तो बहुत दूर की बात है। हालात और चीजें यही बता रही की हमारे किसी अन्दर के आदमी का ही हाथ है। हो सकता है चंद रुपयों के लिए उसने अपना ईमान बेच दिया हो..... जिसके बाद यह काम किया "
    
    "पर यहां अन्दर का आदमी है कौन..?? आप?? पर आप उसे क्यों मारेंगे"
    
    वकार अहमद के कदम अचानक रूक गए। उसने निधि को देखा और काफी देर तक देखा। फिर वापिस चलने लगा। "सीरिया में हमने कुछ एजेंट भेजे थे। अभी नहीं बल्कि कुछ साल पहले.. तकरीबन छह एजेंट थे.... वह लोग वहां 7 साल से काम कर रहे हैं। जब उन्हें भेजा था तब उनकी उम्र 13 से 14 साल के आसपास थी.....हमारा मकसद था कि उन्हें वहां की नागरिकता मिल जाए और वह लोग वहां की सेना में भर्ती हो जाए। अक्सर एक एजेंसी अलग-अलग देशों में इस तरह के खुफिया एजेंट भेजती रहती है, जो उन्हें शेडी देने का काम करते हैं। उस समय हमें बिल्कुल नहीं पता था कि आगे चलकर हमें इस तरह के मिशन पर काम करना पड़ेगा। मुझे शक है कि उनमें से कुछ एजेंट सीरिया के साथ मिल चुके हैं।"
    
    सीरिया में!! लेकिन उन्हें कंट्रोल कौन कर रहा है। जैसे यहां की कमान आपके हाथ में हैं, वैसे  ही सीरिया में स्पेस एकेडमी की कमान किसके हाथों में हैं"
    
    "है एक कमीना इन्सान, धोखा उसकी रग रग में भरा है। ' कमांडर विनम्र' वह एक नम्बर का कमीना इन्सान है"
    
    " विनम्र!!" निधि ने आश्चर्य से कहा।
    
    "तुम्हारे लिए तो यही अच्छा है कि तुम उसके बारे में ना जानो, वह किसी का भी सगा नहीं, उसने कई बार हमारे लोगों को धोखा दिया है"
    
    "पर इसके बावजूद वह वहां का कमांडर है!! बात कुछ हजम नहीं हुई"
    
    "उसकी नेतृत्व क्षमता जबरदस्त है, सीरिया में कोई उसका विद्रोह करने का दम नहीं रखता, बड़े-बड़े नेताओं के साथ उसका उठना बैठना है, सेना में भी पहुंचे हैं। अगर किसी ने विद्रोह किया तो वो एक पल नहीं लगाएगा उन्हें खत्म करने में"
    
    "लेकिन वह काम किसके लिए करता है??"
    
    "कोई नहीं जानता, एक पल लगता है वह हमारे साथ हैं पर अगले ही पल वह सीरिया का साथ दे रहा होता है। सीरिया में वह सेना की एक टुकड़ी का कमांडर है। यह कमांडर नाम भी इसीलिए पड़ा है।"
    
    दोनों बातें करते-करते एजेंट के कमरे तक पहुंच चुके थे। कमरे के सामने पहुंचते ही उन दोनों की बातें रुक गई। वकार अहमद ने इशारा कर बताया की एजेंट का कमरा ऊपर की तरफ है। ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां थी। वकार अहमद वही सीढ़ीयों पर रुका और निधि को अकेले आगे जाने के लिए कहा।
    
    सीढ़ियों की मदद से निधि कमरे में पहुंची और दरवाजा खोला। कमरे में ज्यादा कुछ नहीं था। एक बेड था। एक अलमारी थी। एक एलसीडी स्क्रीन और एक कपड़े रखने वाली अलमारी। इसके अतिरिक्त एक जूते रखने वाला बेंच  था।
    
    निधि ने सबसे पहले कमरे को अपनी आंखों से देखा। फिर धीरे-धीरे वहां की चीजों को उठाकर देखने लगी। उसने एलसीडी स्क्रीन के पीछे का हिस्सा, जूतों वाले मेज के आसपास का हिस्सा, यहां तक कि जूतों के अंदर की चीजें भी देखी।
    
    इसके बाद वह अलमारी की तरफ बढी और अलमारी को खोला। उसमें कपड़े और कुछ खाली कागज थे। निधि ने वहां की हर एक चीज निकाल कर चेक की। कहीं भी कुछ संदिग्ध नहीं था। अलमारी देखने के बाद उसने अलमारी के कोने भी देखें, अलमारी के ऊपर की जगह की भी तलाशी ली। अंत में उसने बेड के बिस्तर को उठाकर बेड के नीचे देखा। "यहां तो कुछ भी ऐसा नहीं जो काम आए" पूरा कमरा देखने के बाद निधि कमरे से बाहर आ गई। बाहर कुछ गुलदस्ते पड़े थे। निधि ने एक नजर उन गुलदस्तों को भी उठाकर देखा। "इनमें भी कुछ नहीं" फिर वह सीढ़ियों से नीचे आई और आकर वकार अहमद के पास खड़ी हो गई। "यहां तो ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे कोई सुराग मिलें"
    
    "मैंने तो पहले ही कहा था" सामने से वकार अहमद बोला " यहां जो भी था उसे मारने वाला पहले ही ले गया होगा, चलो अब चलें"
    
    दोनों वापिस जाने के लिए मुड़ गए।
    
    लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद बीच रास्ते में निधि के मन में पता नहीं क्या विचार आया, वह तेजी से कूदी और बोली” अंकल, आप चलो.. मैं अपने आप आ जाऊंगी। कुछ रह गया है जिसकी मुझे जांच करनी है"
    
    "लेकिन मैं तुम्हें ऐसे अकेले नहीं छोड़ सकता" सामने से वकार अहमद ने कहकर उसे रोकने की कोशिश की।
    
    लेकिन निधि नहीं मानी "आप मेरी चिंता मत कीजिए.... बस में एक डेढ़ घंटे में ही आ जाऊंगी"
    
    इसके बाद वह दौड़ कर वापस एजेंट के कमरे की तरफ चली गई। पीछे से वकार अहमद उसे देखता रह गया। "पता नहीं इस लड़की को यहां क्यों भेजा गया है, इसकी तो हरकतें भी बच्चों जैसी है....." फिर मुड़कर अपने रास्ते लग गया।
    
    निधि तेजी से कमरे में गई और जाकर एक बार फिर से अलमारी खोली। फिर वहां के तमाम खाली कागज पत्र निकाले और उसे बेड पर गिरा लिया।
    
    "स्पेस एकेडमी के एजेंट हमेशा अपने तेज दिमाग के लिए जाने जाते हैं। किसी भी मिशन को पूरा करने से पहले उनका एक बैकअप प्लान होता है.... और उसे वह लोग छुपा कर रखते हैं" निधि बोलने के साथ-साथ एक एक कागज को गौर से देख रही थी।
    
    इसके बाद उसने ढेर सारे कागजों में से दो कागज छांटें और उन्हें धूप की तरफ करके देखा। वह खाली थे पर इसके बावजूद निधि पता नहीं क्यों खुश हो रही थी। "एकेडमी में हमें चीजों को छुपाना सिखाया जाता है...." उसने कहा और बाहर गमलों की तरफ आ गई। फिर गमलों की मिट्टी नीचे गिराई और कुछ हिस्सा अपने हाथ में लेकर वापस अंदर आ गई। मिट्टी का हिस्सा उसने दूसरे कागज पर रखा और कमरे में पानी ढूंढने लगी। "कागज पर चीजों को छुपाने के लिए हमें खास तकनीक का प्रयोग करते हैं..... और वह तकनीक है केमिकल वाली लिखाई..... इस लिखाई में पहले एक केमिकल से कागज पर चीजें लिख ली जाती है...और जब उस पर दूसरा केमिकल गिराया जाता है तो वह लिखी हुई चीजें दिखाई देने लगती है"
    
    पानी मिलने के बाद निधि ने उसे गमले की मिट्टी में मिला दिया। मिट्टी और पानी दोनों ने मिलकर कागज को मटमैला कर दिया। निधि ने वह कागज़ उठाया और उसे बाकी के दो छांटें हुए कागजों से रगड़ने लगी। फिर उसे धूप की तरफ करके देखा.... उस पर कुछ शब्द उभर कर आ गए थें। वह कुछ आड़ी टेढी लकीरे थी।
    
    "शाबाश निधि" निधि के चेहरे पर एक अजीब ही खुशी थी। मानो उसके हाथ कोई खजाना लग गया हो।  उसने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और दोनों कागजों का स्क्रीनशॉट ले लिए। फिर कमरे की चीजों को वैसे ही करने लगी जैसे वह पहले थी। जो कागज वह खराब कर चुकी थी, उसने उन सभी कागजों को समेटा और अपने हाथ में ही पकड़ लिया। बेड की चादर, अलमारी के कपड़े... सब के सब जो के त्यों ही सजा दिए।
    
    अंत में वह बाहर आ गई, उसके हाथ में जो कागज के टुकड़े थे उसने वह वहां की नाली में फेंक कर उन्हें आगे बहा दिया। यहां तक का काम तो हो गया... पर अभी आगे का काम बाकी था। इन लकीरों का मतलब क्या है.... यह चीज भी समझनी है।
    
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10


    
    विनम्र का साइंटिस्ट को प्रधानमंत्री से मिलाना, उसका नया काम और साइंटिस्ट के एक्सपेरिमेंट
    
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    अगले दिन सुबह-सुबह विनम्र उन दोनों के लिए चाय बना कर उनके कमरे में लेकर गया। उसके हमेशा साफ सुथरे दिखने वाले कमरे की हालत आज कबाड़ से भी बदतर हुई पड़ी थी। उसने गुस्से से अपने कमरे को देखा और फिर उन दोनों को। उसके बाद अपनी कमर में लटक रही पिस्तौल को ।
    
    "मन तो कर रहा है अभी इन दोनों को शूट कर दूँ, पर मजबूर हूं "
    
    उसने चाय साइड में रख कर अपनी लात साइंटिस्ट के पिछवाड़े में मारी। साइंटिस्ट सीधे बेड से नीचे गिर गया। नीचे गिरते ही उसकी आंख खुली और वह हड़बड़ी से उठा "क्या हुआ क्या हुआ..... भूकंप आ गया क्या"
    
    "नहीं नहीं सर" विनम्र बोला "आप बेड से नीचे गिर गए थे"
    
    फिर आगे बढ़कर उसने साइंटिस्ट को खड़े होने में उसकी मदद की। "आपके लिए चाय लेकर आया पी लीजिए"
    
    "सिर्फ चाय, खाने के लिए कुछ नहीं है क्या"
    
    विनम्र ने उसे गुस्से से देखा और मन ही मन कहा "तुम्हें खाने के लिए कुछ चाहिए...... दिमाग है, दिमाग खा लो सालो" जबकि सामने बोला" आपको खाने के लिए कुछ चाहिए.... मेरे पास तो सिर्फ ब्रेड है।।।।"
    
    "ठीक है.... वही ले आओ"
    
    विनम्र ने उन दोनों को ब्रेड लाकर दे दिए। फिर बाहर जाकर सोफे पर बैठ गया। बैठते ही उसके फोन की घंटी बजी और उसने फोन उठाया।
    
    "सुनो" सामने से आवाज आई "बेस का इंतजाम हो गया है। मैं तुम्हें एड्रेस भेज रहा हूं उन दोनों को लेकर वहां आ जाओ। तुम्हारे लिए एक सरप्राइज भी है"
    
    "सरप्राइज..!! लेकिन क्या"
    
    "वह तो तुम्हें यहां आकर ही पता चलेगा"
    
    "ठीक है" विनम्र ने जवाब दिया और फोन काट दिया।
    
    ठीक 2 घंटे बाद वह फोन पर बताएंगे एड्रेस पर था। यह शहर से बाहर बनी एक अलग ही तरह की जगह थी। एक 6 मंजिला बिल्डिंग जिसके चारों ओर सख्त तारबंदी और कड़ी सुरक्षा थी। जगह-जगह सोल्जर बंदूक लेकर खड़े थे। विनम्र ने गाड़ी दरवाजे के पास खड़ी की और वहां के एक आदमी को बुलाया "पासकोड 00345"
    
    आदमी ने पीछे जाकर वायरलेस पर कुछ बात की और फिर दरवाजा खोल दिया। विनम्र उस दरवाजे से अंदर चला गया।
    
    अंदर भी कुछ ऐसा ही परिदृश्य था। बिल्डिंग में तकरीबन 70 से 80 सोल्जर खड़े थे। विनम्र गाड़ी से उतरा और साइंटिस्ट और उसके साथ की औरत को लेकर बिल्डिंग के अंदर चला गया।
    
    अंदर दरवाजे पर उसे रोक लिया गया। वहां कुछ आदमी आए और उन सभी को चेक किया। इसके बाद एक आदमी उन्हें अंडरग्राउंड जगह की ओर ले गया। यह जमीन से तकरीबन 15 मीटर नीचे बनी जगह थी। चारों ओर कांच के कमरे थे.... उनकी आरपार भी देखा जा सकता था। जैसे ही विनम्र और उसके साथ के आदमी वहां पहुंचे विनम्र को एक अति प्रभावशाली छवि कांच की दूसरी और दिखी।
    
    यह सीरिया के प्रधानमंत्री थे। "लुइस इल्लल्लाह" उसके साथ उसकी सुरक्षा करने वाले आदमी और विनम्र को ऑर्डर देने वाला भी था। विनम्र ने वहां जाकर सब से हाथ मिलाया और खासकर प्रधानमंत्री से।
    
    "वेल डन माय बॉय" लुइस इल्लल्लाह ने विनम्र से कहा "तुम्हारे जैसे लोगों की हमारे देश को सख्त जरूरत है। तुम आगे चलकर हमारे देश का नाम रोशन करोगे"
    
    "जी सर" जवाब देने के बाद विनम्र भी उन सभी लोगों के साथ साइड में खड़ा हो। प्रधानमंत्री ने आगे बढ़कर साइंटिस्ट से मुलाकात की। "और कैसे हो जार्ज इरविन, तुम्हारे किस्से दुनिया भर में मशहूर है।" और अपना हाथ साइंटिस्ट से मिलाया। "क्या तुम हमारे साथ काम करोगे" हाथ मिलाने के बाद उसने आगे पूछा।
    
    "मैं तो मरा जा रहा हूं काम करने के लिए..." जार्ज इरविन ने एक पागल साइंटिस्ट की तरह जवाब दिया "मुझे इस दुनिया को दिखाना है कि उसने किस इंसान को इग्नोर किया है। मैं यह पूरी दुनिया तबाह कर दूंगा"
    
    वहां मौजूद सब आदमी यह सुनकर मुस्कुराने लगे। "जरूर मेरे मालिक जरूर" लुइस इल्लल्लाह ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा "यह पूरी दुनिया अब हमारे कदमों में झुकेगी, आओ तुम्हें हमारी लैब दिखा देता हूं"
    
    सब एक साथ लैब देखने के लिए चलने लगे। लैब सच में शानदार थी। वहां हर तरह का सामान मौजूद था। एक सुई से लेकर परमाणु बम बनाने तक का सामान, किसी भी चीज की कमी नहीं थी। पूरी लैब देखने के बाद साइंटिस्ट बोला "यह बिल्कुल वैसी ही लैब है जैसी कभी मैंने सपने में देखी थी"
    
    "हम अच्छे से जानते हैं" लुइस इल्लल्लाह ने उसकी बात का जवाब दिया "यहां तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं होगी, बस अब तुम वह काम करो जिसके बाद यह दुनिया हमारी आंखों से आंखें ना मिला सके"
    
    "मैं आज से ही अपना काम शुरू कर दूंगा" जार्ज इरविन उछल कर लैब में चला गया "बस अब मुझे शांति चाहिए"
    
    "ठीक है" प्रधानमंत्री ने सभी लोगों को वहां से जाने के लिए कहा। उनके साथ विनम्र भी जाने लगा और औरत भी।
    
    साइंटिस्ट ने पीछे से जोर से आवाज लगाई "तुम कहां जा रही हो" यह उसने  औरत के लिए कहा था।
    
    औरत पीछे मुड़ी और प्रधानमंत्री की तरफ देखने लगी। प्रधानमंत्री ने आंखों ही आंखों में उसे उसके पास जाने का इशारा किया "अरे मैं कहां जाऊंगी, तुम तो जान हो मेरी" औरत ने कहा और वापिस साइंटिस्ट के पास चली गई।
    
    प्रधानमंत्री, विनम्र और बाकी सब लोग अब ऊपर छत पर आ चुके थे। "मैंने तुम्हारी बहादुरी के बहुत किस्से सुने हैं। तुम्हें इसका इनाम मिलेगा” प्रधानमंत्री ने विनम्र से कहा।
    
    " जी नहीं नहीं सर, मुझे इनाम नहीं चाहिए। बस आपका साथ बना रहे यही काफी है"
    
    प्रधानमंत्री यह सुनकर मुस्कुरा दिए। "आने वाले समय में मैं तुम्हें सेना का जनरल बनाऊंगा।" इसके बाद उसने अपने साथ वाले आदमी को देखा। वह विनम्र को ऑर्डर देने का काम करता था। "तुम्हें पता है ना कि अब आगे क्या करना है, युसूफ "
    
    "हां" युसूफ ने जवाब दिया।
    
    इसके बाद प्रधानमंत्री वापिस विनम्र को देख कर बोला "यह तुम्हारा आखिरी काम है... इसे करने के बाद तुम्हारी जनरल की गद्दी पक्की समझो"
    
    "जी सर, चिंता मत कीजिए काम हो जाएगा" विनम्र ने प्रधानमंत्री को सैल्यूट किया।
    
    ठीक 25 मिनट बाद विनम्र और युसूफ दोनों उस जगह से दूर जा रहे थे।  कार की स्पीड सामान्य थी।
    
    "प्रधानमंत्री चाहते हैं कि तुम एक खास चीज की तलाश करो..…...वह सिर्फ हमारे लिए नहीं बल्कि बाकी के देशों के लिए भी बहुत इंपोर्टेंट है"
    
    "ऐसा क्या खास है उसमें....."
    
    "ना ही पूछो तो बेहतर है...... आखिरी बार उसे इंडिया के एजेंट के पास देखा गया था। शायद अब भी वही मिलेगी"
    
    "इंडिया के एजेंट हर जगह अपनी टांग क्यों अड़ा रहे हैं.... जब अमेरिका इस चीज में अपने हाथ नहीं डाल रहा तो उन्हें इतनी क्या पड़ी है" विनम्र ने गाड़ी को मोड़ कर दूसरी तरफ किया।
    
    "शायद वह खुद को शक्तिशाली साबित करना चाहते हैं। यह मत भूलो कि वह अब वैश्विक शक्ति बनने की कगार पर खड़ा है। अगर वह इस मुद्दे को सुलझा देता है तो उसे वैश्विक शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।"
    
    "लेकिन मुझे नहीं लगता वह अब अपनी इरादों में कामयाब होंगे।" विनम्र ने गाड़ी के गियर को हल्का किया। "उनके सभी होनहार एजेंट हम खत्म कर चुके.... बाकी बचे खुचे एजेंट में इतनी हिम्मत नहीं कि वह यह काम करें... इंडिया तो वैश्विक शक्ति बनने से गया"
    
    "इसी में हमारी भलाई है।"
    
    इसके बाद विनम्र की जीप लंबी सड़क पर हवा से बातें कर रही थी।
    
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    निधि का सीरिया जाना और उसकी विनम्र से मुलाकात
    
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    ठीक डेढ़ घंटे बाद निधि अपने कह अनुसार घर आ गई। घर आकर उसने खाना खाया और वकार अहमद से दूसरी बातें करने लगी "आप मुझे विनम्र के बारे में कुछ बता रहे थे…कहीं उसका तो इसके पीछे हाथ नहीं" निधि ने एक सधे हुए अंदाज में अपनी बात शुरू की।
    
    "कुछ कह नहीं सकते, उसके पिता इंडिया में प्रोजेक्ट डिपार्टमेंट में काम करते थे। प्रोजेक्ट डिपार्टमेंट एक ऐसा ग्रुप था जो दूसरे देशों पर हमले करने की रणनीति बनाता था। इसके बाद उसके पिता ने विनम्र का नाम एडवांस ट्रेनिंग में जोड़ दिया, जिसके तहत उसे दूसरे देशों में छोटी उम्र के अंदर ही रहने सहने के लिए भेज दिया गया। विनम्र अपनी छोटी सी उम्र में सीरिया आया। फिर सीरिया की सेना में भर्ती होकर ट्रेनिंग ली। कई सालों तक एजेंसी उससे संपर्क में थी लेकिन बाद में वह संपर्क क्षेत्र से बाहर हो गया। सीरिया की सेना में शानदार काम करने की वजह से वह वहां का कमांडर बन गया और बाद में उन्हीं के लिए काम करने लग गया। वह एक शानदार जासूस था जो अपनी हर कला में माहिर है। उसकी सबसे अच्छी विशेषता दूसरों के चेहरे को पढ़ना है, जो वो पलक झपकते ही कर लेता है।
    
    "लेकिन फिर भी, उस एजेंट के मरने के बाद सबसे ज्यादा फायदा सीरिया का हुआ है। लेकिन जैसा कि आपने कहा है कि सीरिया को अभी तक पता नहीं चला कि हम उनके प्रधानमंत्री को मारने की योजना बना रहे हैं, तो फिर उसे मारने का कारण क्या है। आखिर ऐसी कौन सी वजह थी जिसे कातिल ने उसे मारने पर मजबूर किया....?" निधि गहरे सोच-विचार में डूब गई।
    
    "इसको तो वही बेहतर समझा सकता है जिसने उसका कत्ल किया। मैं तो अब इसका क्या जवाब दूं। हो सकता है पैसों का लालच हो या........फिर कुछ और…. या फिर हो सकता है बिना वजह ही कुछ"
    
    निधि ने मधुरता से कहा “ बिना वजह कुछ नहीं होता, कुछ तो खास होगा..... जो इसकी वजह बना। लेकिन वह वजह अभी नजर नहीं आ रही”
    
    "मैं तुम्हारी तर्कों से सहमत हूं" वकार अहमद बोला "लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं जिसके जरिए हम इन सब बातों का पता लगाए, तुम वापस गई थी ना….. क्या तुम्हें कुछ मिला" वकार अहमद ने बातों को घुमा कर तुरंत उस बात पर जोर दिया जिसके कारण वह वापिस गई थी।
    
    "नहीं" निधि ने सहजता से जवाब दिया। "मुझे वहां कुछ भी नहीं मिला, एक बार तो लगा था कि मैं कुछ भूल चुकी हूं पर जब वहां जाकर वापस चेक किया तो खाली हाथ आई"
    
    "ओह" वकार अहमद ने अफसोस जताया। "खैर, जल्दी कुछ हाथ लग जाएगा"
    
    "मुझे भी ऐसा ही लगता है" निधि ने वकार अहमद को देखा "वैसे अब हमें आगे क्या करना है?" निधि ने पूछा। "यहां के एजेंट के पास जो मिलना था वह मिल गया लेकिन अभी दो एजेंट बाकी है"
    
    "कुछ खास नहीं" वकार अहमद ने जवाब दिया "तुम्हारे सीरिया भेजने की तैयारी करनी है..."
    
    "सीरिया" निधि चौंकी" लेकिन इराक से सीरिया... यह थोड़ा मुश्किल नहीं लगता" उसने अचंभित होते हुए कहा
    
    "ज्यादा मुश्किल नहीं है....." वकार अहमद मुस्कुराया "दरअसल यहां के चरवाहे दोनों देशों की साझा संपत्ति है। उन्हें बॉर्डर क्रॉस करने की इजाजत है। मैं कुछ चरवाहे वालों को जानता हूं और वह मेरे लिए काम भी करते हैं। उनके साथ तुम्हें बॉर्डर क्रॉस करवा दूंगा"
    
    "मुझे!! क्या आप नहीं जाएंगे??"
    
    "मैं नहीं जा सकता। यहां के आर्मी के लोग मुझे जानते हैं, जिस कारण वो मुझे चरवाहा बिल्कुल नहीं समझेंगे"
    
    "लेकिन मैं अकेली.... वह भी सीरिया में"
    
    "डरने की बात नहीं, तुम्हें ज्यादा दूर नहीं जाना…... बॉर्डर के साथ वाले शहर में ही हमारी छोटी सी बेस है। वहां उन दोनों एजेंट की मौत हुई थी। हालांकि हमारा वहां कोई आदमी नहीं जो तुम्हारे काम आ सके, लेकिन वो बेस पूरी तरह से खाली पड़ी है। पुलिस और आर्मी का भी वहां आना जाना नहीं...। बॉर्डर क्रॉस करने के बाद तुम्हें आधा घंटा लगेगा वहां तक पहुंचने में, वहां जाकर उस बेस की जांच करना और शाम को चरवाहे वापस आएंगे तो उनके साथ वापिस आ जाना।"
    
    वकार अहमद ने अपनी पूरी योजना निधि को बताई। योजना सुनने के बाद निधि गहन सोच-विचार करने लगी। "मुझे नहीं लगता किसी दूसरे देश में इस तरह जाकर ऐसे काम कर सकते हैं, लेकिन आपकी बातों से लगता है कि यह ज्यादा मुश्किल नहीं...... मुझे कोई आपत्ति नहीं" और जवाब दिया।
    
    "मैं एक नक्शे का इंतजाम कर दूंगा। शहर की गलियां काफी छोटी छोटी है। इससे तुम आसानी से बेस तक पहुंच जाओगी। यह चरवाहे वहां 6 घंटे तक रुकेंगे। ऐसे में तुम्हें अपना सारा काम 6 घंटे के अंदर निपटाना है"
    
    "अगर मुझे 6 घंटे से ज्यादा वक्त लगा तो"
    
    "तब तुम्हें अगले दिन तक का इंतजार करना होगा, जब यह चरवाहे वापस आएंगे तब उनके साथ आ जाना"
    
    "6 घंटे" निधि ने लंबी सांस लेकर कहां।
    
    इसके बाद दोनों तकरीबन आधा घंटा और बातें करते रहे और अंत में अपने अपने कमरे चले गए।
    
    अगले दिन सुबह होते ही निधि और वकार अहमद इराक के बॉर्डर का सफर कर रहे थे। उन दोनों ने औरतों के कपड़े पहन रखे थे। समय 5:00 बजे का होगा। दोनों बॉर्डर के आखिरी छोर पर आकर रुक गए। उनके सामने चरवाहों के समूह थे जो भेड़ों के साथ खड़े थे। वकार अहमद अकेले आगे बढ़ा और एक चरवाहे वाले से बात की। कुछ देर तक बात करने के बाद वह वापस निधि के पास आया "वह लोग मान गए हैं, शाम को तुम्हें वापस भी ले आएंगे"
    
    इसके बाद वकार अहमद ने कुछ कागज निकाले और उसे निधि को दे दिया। "यह वहां का नक्शा, और नागरिकता के कागज हैं। अगर किसी भी तरह का खतरा आए तो संभाल लेना"
    
    "ठीक है" निधि ने जवाब दिया।
    
    इसके बाद निधि उन चरवाहों के साथ बॉर्डर क्रॉस करने लगी। यहां बॉर्डर पर ज्यादा पाबंदी नहीं थी। मिलिट्री के कुछ आदमी जरूर थे पर वह किसी तरह की हरकत नहीं कर रहे थे। शायद वह चरवाहों को काफी समय से जानते हैं इसलिए बिना किसी कागज पत्र के उन्हें आने-जाने दिया जा रहा था। इराक का बॉर्डर पार करने के बाद वह सीरिया के सैनिक क्षेत्र में थे। यहां काफी सारे घास के मैदान थे जो उन भेड़ों को चरने के लिए दिए जाते हैं। वहां पहुंचने के बाद चरवाहे ने निधि के लिए सुरक्षित रास्ता बनाया और उसे रेतीले टीलों के पीछे से निकाल कर सड़क के रास्ते लगा दिया।
    
    सड़क का रास्ता सीधे शहर जाता था। सड़क पर चलते वक्त कई सारे विचार उसके मन में थे। "यहां बॉर्डर क्रॉस करना इतना आसान है, इस तरह से तो कोई भी बॉर्डर क्रॉस कर सकता है। बस आपको चरवाहों का साथ चाहिए। "
    
    लगभग आधे घंटे के सफर के बाद वह शहर में थी। सुबह होते ही शहर में लोगों की चहल कदमी बढ़ जाती हैं। यहां भी कुछ ऐसा ही हाल था। कुछ लोग काम से आ रहे थे तो कुछ लोग काम को जा रहे थे।
    
    निधि ने वहां पहुंच कर एक अच्छा सा रेस्टोरेंट ढूंढा और जाकर बैठ गई।
    
    आगे क्या करना है इसके बारे में सोचने के लिए उसे कुछ सुकून के पल चाहिए थे। रेस्टोरेंट में बैठने के बाद उसने दो कप चाय के ऑर्डर  दिए। दूसरे लोगों की नजरों से छुपा कर खुफिया तरीके से मेनू कार्ड के नीचे नक्शा निकाला और लोकेशन देखने लगी।
    
    जल्दी ही टेबल पर चाय के दो कप पड़े थे। "यह रास्ता मच्छी मार्केट का, और यह रास्ता रेस्टोरेंट का जहां पर मैं अभी बैठी हूं। और यहां पर है बेस। मतलब, “वह पीछे मुड़ी और वहां का बोर्ड देखा। "मुझे यहां से दाएं जाकर तीन गली सीधे जाना है और फिर बाय मुड़ जाना है" उसने खुद से कहा और अपनी चाय खत्म करने लगी।
    
    चाय खत्म करने के बाद वह अपने तय किए गए रास्ते पर चलने लगी। पहले बोर्ड से गुजरी, फिर तीन गली तक का सीधा सफर... और उसके बाद बाएं मुड़ गई। गली में आगे जाने के बाद सामने ही बेस वाला घर था। 
    
    निधि ने आसपास देखा और चुपके से उस बेस वाले घर में चली गई। घर दो मंजिला था, दीवारें खुरदरी पीले रंग की, अगर सामान्य भाषा में कहूं तो दीवारों का रंग पीला था और पपड़ी उतरी हुई थी। उन्हें मरम्मत की काफी ज्यादा जरूरत थी। यहां के बाकी घरों का भी यही हाल था।
    
    घर का दरवाजा खोलने के बाद उसके सामने लंबे चौड़े हॉल का परिदृश्य था। इस हॉल के अंदर तीन कमरे, एक किचन, एक लोबी और दो बाथरूम थे। निधि ने सबसे पहले घर का दरवाजा बंद किया इसके बाद चारों ओर घूमकर कमरे को पहली नजर ऊपर से देखा। दीवारों पर तस्वीर टंगी हुई थी, किचन में बर्तन पड़े थे जो धोने वाले थे। इन्हीं तस्वीरों के बीच अलग-अलग निशान थे। निधि ने उन निशानों को करीब से देखा। "यह तो गोली लगने के निशान, मतलब यहां गोलीबारी हुई है।" उसने सोचा और फिर निशानों की गहराई नापने के लिए माचिस की तीली निकाली। गहराई देखने के बाद उसने निशानों के विपरीत दिशा में गौर किया। वहां एक खिड़की थी जो इस दीवार के सामने आती थी। खिड़की और निशानों की गहराई बता रही है यह गोलियां बाहर से चली है। निधि चलकर खिड़की के पास आई और वहां से बाहर देखा। बाहर एक और घर था जो तीन मंजिला था। यह घर खिड़की के ठीक सामने था जिस कारण वह निधि के लिए जिज्ञासा का विषय बन गया।
    
    निधि ने अपना ध्यान वापिस सामने वाले कमरे से हटाया और गोलियों की जांच करने के बाद उसने कमरों की जांच करनी शुरू कर दी।। सबसे पहले इस निशान के ठीक बगल में बने कमरे की जांच की। वहां का सामान बिखरा हुआ था। बेड की चादर, अलमारी, कपड़े सब इधर-उधर पड़े थे। किसी ने इस कमरे की पहले ही तलाशी ले रखी थी।  लेकिन इसके बावजूद निधि वहां की चीजों को देखने लगी। सबसे पहले उसने कपड़ों को देखा, फिर अलमारी के हिस्से को और फिर बेड को। बेड के नीचे वाले साइड पर कुछ खरोंच के निशान थे। यह निशान उस जगह पर थे जहां आदमी सोते वक्त अपना सर रखता है।
    
    निधि ने उन निशानों को बड़े आश्चर्य से देखा और तेजी से हरकत में आई। वह उछल कर बैड के दूसरी तरफ गई और बेड को खिसका कर साइड में किया। वहां उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि एक बहुत ही बेशकीमती चीज उसके हाथ लग गई थी।
    
    बेड के ठीक नीचे एक बड़ा सा पोस्टर था जिस पर वैसी ही कुछ आड़ी टेढ़ी लकीरें थी जैसी उसे पहले मिली थी। निधि ने उस पोस्टर को उठाया और समेट कर अपनी पेंट के पीछे वाली साइड में डाल लिया। "हो ना हो जिन लोगों ने इन्हें मारा है उन्हें इसी की तलाश थी। एजेंट ने भी इसे काफी खुफिया तरीके से रखा है। जरूर इन लकीरों का कोई बड़ा मकसद है" निधि ने सोचा और दूसरे कमरे में चली गई।
    
    वहां की हालत भी बिगड़ी हुई थी। इस कमरे की उसके आने से पहले किसी ने तलाशी ले ली थी। निधि ने इस कमरे को ज्यादा नहीं देखा बस सिंपल देखकर छोड़ दिया। एक बार बैड के नीचे जरूर देखा था, पर वहां कुछ नहीं मिला।
    
    कमरे की जांच करने के बाद वह किचन में आई। किचन में धोने वाले बर्तन पड़े थे। निधि ने उन बर्तनों को छुआ और सूंघा "तकरीबन 10 दिन पुराने हैं" वह बोली और नल चला कर देखा। नल से पानी नहीं आ रहा था।
    
    "यह कैसे हो सकता है, अगर बर्तन यहां रखे गए हैं तो मतलब यहां पानी आता था, लेकिन अब पानी नहीं आ रहा।"  निधि अपने दिमाग के घोड़े बहुत तेजी से दौड़ा रही थी। वह कमरे से बाहर निकली और सीढ़ियों से छत पर पहुंची। सामने ही टंकी थी।
    
    टंकी के करीब जाकर उसने उसे चारों तरफ से देखा। टंकी की पाइप किसी ने बंद कर रखी था, और वहां टंकी के अंदर गोलियां लगने के निशान भी थे।
    
    निधि खुद से बोली " सब समझ में आ रहा है, इन लोगों को बहुत होशियारी से खत्म किया गया है। सबसे पहले किसी ने टंकी का पानी बंद किया, घर का एक आदमी  ऊपर आया तो उस पर गोलियां चला दी गई। ठीक इसी वक्त नीचे वाले आदमी को भी शूट कर दिया गया।
    
    पूरे घर की जांच करने के बाद निधि नीचे उतरी और बाहर गली में आ गई। फिर आसपास देखा, पूरी गली सुनसान थी। इसके बाद वह सामने वाले घर में घुस गई। सीढ़ियां चढ़कर ऊपर टेरिस पर पहुंची और वहां की दीवारों को देखा। इन पर बंदूक रखने के निशान थे। "यह मिलिट्री द्वारा की गई कार्रवाई है जिसमें मिलिट्री के काफी हाई एडवांस सोल्जर शामिल थे।"
    
    थोड़ा सा और देखने के बाद वह सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी  "अगर इसमें मिलिट्री के लोग शामिल है तो उन्हें पता होगा कि यह लोग एजेंट थे और यह भी पता होगा कि इनका मिशन क्या था। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बाकी के एजेंट नहीं मारे। यह बात हजम नहीं हो रही। इसका तो मतलब यही हुआ कि उन्हें पता था यह लोग एजेंट हैं पर यह नहीं पता था वह लोग प्रधानमंत्री को मारना चाहते हैं।  और अगर उन्होंने इस कारण से एजेंट को नहीं मारा तो उनका कारण क्या था, शायद तक यह लकीरें, उन्हें इन लकीरों की तलाश थी।" अहहह, निधि ने अपने सर के बाल नोच लिए "पूरा मामला उलझता जा रहा है....."
    
    निधि घर के दरवाजे तक पहुंची की उसे बाहर से कुछ गाड़ियों के चलने की आवाज सुनाई देने लगी। उसने तुरंत अपने कदमों की चाल धीमी की और ऊपर उठते हुए बाहर देखा। बाहर मिलिट्री की गाड़ियां थी। वह तुरंत तेजी से पीछे हटी और वापिस टेरिस पर चली गई।
    
    मिलिट्री की गाड़ियां उसी घर के सामने आकर रुक गई। आगे वाली गाड़ी में विनम्र बैठा था।
    
    गाड़ियों के रुकते ही विनम्र उतरा और दूसरे सैनिकों को आर्डर दिया "जाओ और इस घर की तलाशी फिर से लो"
    
    विनम्र के कहने के बाद सारे सैनिक एक-एक कर घर के अंदर चले गए। निधि दूसरे वाले घर की छत से यह सब देख रही थी।
    
    निधि तेजी से पीछे हटी और अपनी नजरों को वहां से हटाया "मेरा यहां रुकना ठीक नहीं।" वह सीधे टेरिस की दूसरी और गई और नीचे देखा। नीचे उसे सामने वाले घर की छत दिखाई दे रही थी। छत तकरीबन 2 मीटर नीचे होगी। निधि ने मुड़ कर पीछे देखा, वहां से सामने वाले घर में मिलिट्री के जवान एजेंट के घर को चेक करते हुए दिखाई दे रहे थे। इसके बाद वह वापिस आगे देखने लगी।
    
    आगे देखने के बाद उसने एक लंबी सांस ली और कुछ कदम भरकर सामने वाले घर पर छलांग लगा दी। नीचे कूदते ही धड़ाम की एक आवाज हुई और फिर चारों ओर सन्नाटा छा गया।
    
    ***
    
    कुछ देर बाद निधि इस गली के ठीक बगल वाली गली में चलती हुई दिखाई दे रही थी। जैसे-तैसे कर उसे इस जगह से दूर जाना था। इन हालात में वह जितना दूर जाएगी उतना ही फायदा है। रास्ते में ही निधि ने अपनी शर्ट उतारी और उसे बदलकर उल्टा पहन लिया।
    
    आखिर में वह उसी रेस्टोरेंट पर पहुंच गई जहां पर पहले आई थी। रेस्टोरेंट पर आकर उसने अपने कमर के पीछे का पोस्टर निकाला और उसे सीट के नीचे रख दिया।
    
    फिर वेटर को आवाज लगाकर उसे कॉफी का ऑर्डर दिया।
    
    जल्द ही वहां से वही मिलिट्री वाली गाड़ियां वापिस जाते हुए दिखाई दी। निधि ने उन गाड़ियों को देख कर कोई हरकत नहीं की। वह ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे वो यहीं पर रहती है। थोड़ी देर बाद कॉफी वहां थी।
    
    लेकिन, कॉफी को लाने वाला शख्स वेटर नहीं बल्कि कोई और था....वह विनम्र था।
    
    विनम्र ने कॉफी टेबल पर रखी और उसके सामने बैठ गया। निधि पूरी तरह से समझ चुकी थी कि वह फंस चुकी है, लेकिन इसके बावजूद वह आराम से बैठी रही। "मुझे नहीं पता था, एक स्पेस एकेडमी के एजेंट होकर तुम्हें अकेले कॉफी पीनी पड़ेगी" विनम्र ने कहा।
    
    शानदार!! विनम्र एक नजर में ही जान गया की निधि कौन है। निधि ने कोई जवाब नहीं दिया,बल्कि वे सोच विचार में पड़ गई कि यह शख्स कौन हो सकता है...हो ना हो
    
    यह विनम्र ही है।
    
    "तुम शायद विनम्र होगे" निधि ने कॉफी का कप उठाया और सधे हुए लहजे में उससे कह दिया।
    
    विनम्र सुनकर मुस्कुराया"शायद तक, यह बात तुम बेहतर जानती हो....."
    
    "मैं निधि हूं... अभी-अभी एकेडमी ज्वाइन की है" निधि ने उससे ऐसा कहा जैसे वह यहां पर रिश्तेदारी निकालेगी।
    
    "मुझे इस से कोई मतलब नहीं" विनम्र ने सामने से उसकी बात को इग्नोर कर दिया।
    
    "लेकिन, मुझे है...." निधि बोली "तुम्हारे किस्से दुनिया भर में मशहूर है, तुम एजेंसी के एक शानदार एजेंट हुआ करते थे
    
    "
    
    "उन बातों की अब कोई अहमियत नहीं। मैं पहले एजेंट था पर अब नहीं.... अब तो बस अफवाह बची है"
    
    निधि मुस्कुरा कर बोली "अफवाहों अक्सर तभी फैलती है जब उनके सच होने की गुंजाइश हो"
    
    "तुम काम की बात पर आओ....." विनम्र ने अपना हाथ टेबल पर रखा और जबरदस्त तरीके से धमकी वाले अंदाज में कहा। 
    
    "बोलो.... क्या काम की बात??"निधि ने उससे पूछा
    
    "तुम्हारे पास हमारी कोई चीज है।।।।" विनम्र ने कहा "मुझे बस वही चाहिए"
    
    "मेरे पास ऐसा कुछ नहीं...."निधि ने अपने कंधे चटका कर जवाब दिया।
    
    "माना कि तुम होशियार हो.... पर मेरे से ज्यादा नहीं। तुमने उस एजेंट के घर की तलाशी ली थी जिन्हें हम ने मारा था, जरूर तुम्हें वहां से कुछ मिला होगा"
    
    "नहीं!! मुझे वहां कुछ नहीं मिला" निधि ने साफ मना कर दिया। "वैसे अगर बुरा ना मानो तो मैं एक बात पूछूं....उसमें आखिर ऐसा क्या था जो तुम लोग उसकी तलाश कर रहे हो"
    
    "तुम्हें इससे क्या लेना देना" विनम्र अपनी जगह से खड़ा हुआ "यह मिलिट्री के अपने पर्सनल मामले हैं, तुम इसमें ना आए तो ही बेहतर हैं। इसकी वजह से तीन एजेंट पहले ही मारे जा चुके हैं और तुम भी खतरे से बाहर नहीं। भलाई इसी में है कि आज शाम को वापस लौट जाओ... और फिर यहां दोबारा नजर मत आना।" वह थोड़ा सा करीब आया और बिल्कुल निधि के पास आकर बोला “इस बार तो छोड़ रहा हूं... लेकिन अगली बार बिल्कुल नहीं छोडूंगा"
    
    और वहां से चला गया। निधि पीछे से उसे जाते हुए देखती रही "बेटा भले ही तुम यहां के खतरनाक इंसान हो, लेकिन मेरा नाम भी निधि है, किसी भी हाल में मुझे कम मत समझना" इसके बाद निधि भी वहां से चली गई।

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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Dec-2021 09:19 PM

Nice story👌👌👌

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Ammar khan

30-Nov-2021 12:27 PM

Nice

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Hayati ansari

29-Nov-2021 08:54 AM

Very good

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